उज्जवल गाथा कैसे गाऊं मधुर चांदनी रातो की ,
उन बीते पालो मे होने वाली मीठी -मीठी बातों की ...
लगता है जैसे देखा था कोई सवप्न ......
आँखे खुली तो बीत गए वो लम्हे उन रातो के
पलट दिए पन्ने तकदीर ने .....
जैसे जीवन की गाथाओ के ................
बदल गए वो रिश्ते जो थे कभी हमने बनाये,
भूल गए वो पल जो कभी हमने साथ बिताये
ज़िन्दगी के साथ जीते ही चले गए ,
बना दिए गए
बीच मे कई फांसले जैसे नदी के हों दो
'' किनारे ''