शमा करना
कोई कैसा भी बर्ताव करे ,तम उसे सदेव शमा करो
ऐसा इंसान बनो ,कोई तुमसे लड़े-झगडे ,पर तुम शमा करो ,
क्रोध मै इंसान ,दानव बन जाता है ,पर तुम देव बनो !
सत्य
सच बोलो ,असत्य बोलने से तुम स्वम को धोखा देते हों
तत्पशचात दूसरो को ,अपने प्रति सच्चे बनो .
सत्य बोलो, सत्य सोचो,सत्य व्यवहार करो .
सप्रेम -विनम्रता
अपने से पहले दूसरो की सेवा करो ,
सदेव प्रेम-पूर्वक व्यवहार करो
कभी किसी को दुःख मत पहुचाओ
किसी से गलत नहीं बोलो ,किसी को छो टा मत समझो
अपने प्रति ईमानदार रहो
'' सेवा से सेवक ऊँचा उठता है ''
यदि तुम किसी अस्वस्थ्य व्यक्ति की सेवा करते हों ,या
किसी पीड़ित व्यक्ति के पास उसकी सहायता के लिए खड़े होते हों,तो
'तुम ' एक ''देवी '' का कार्य कर रहे हों.
धन्यवाद !
nice feeling
जवाब देंहटाएंकविता बहुत सुंदर है.... .
जवाब देंहटाएंRealy not a boaring, its inttresting
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति, अच्छी सोच.... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरीफिकेशन हटा दें तो कमेंट्स देने वालो को आसानी रहेगी. इसको डेश बोर्ड से सेटिंग में जाकर हटा सकते हैं.
जवाब देंहटाएंसार्थक सोच है आपकी!
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग
खूबसूरत, लेकिन पराई युवती को निहारने से बचें
http://iamsheheryar.blogspot.com/2010/08/blog-post_16.html
करना तो यही सब चाहिए ...
जवाब देंहटाएंअच्छी सकारात्मक पोस्ट ..!
बहुत बढ़िया ..प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंshukriya, aap sabhi priye doosto ka,
जवाब देंहटाएंthanx for support me....
:)
kya likha h vandna ji very very nice
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