खिल सकू तुम्हरे आने पर!
खोयी हूँ तुम्हारी यादो मे ....
इन पलकों को मूँद कर !
तुम्हारे इंतज़ार मे ,मैं
फिर मुरझाई सी बैठी हूँ !
बेकरार हूँ फिर से खिल जाने को ....
उस पल को फिर से पाने को !
२९.१२.२०१०
रूमानी भावों की शानदार अभिव्यक्ति।
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ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
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